ये दिल तुमको कैसे दे दूं




लघु कहानी _ ये दिल तुमको कैसे दे दूं।

प्रताप अपने पूरे स्कूल में सबसे तेज तर्रार और लम्बा चौड़ा है हट्टा कट्टा लड़का था ।खेल कूद और दौड़ ,ऊंची और लंबी कूद या गोला और भाला फेंकना हो सबमें वो सबसे अव्वल था ।उसने अपने स्कूल के एन सी सी ग्रुप में भी अपना नाम जोड़वा दिया था।प्रताप और उसके दोस्तो की वजह से उसका स्कूल पूरे जिला ही नहीं पूरे राज्य स्तर पर खेल कूद और एथलेटिक्स प्रतियोगिता में नंबर वन आता था।मेडल , प्रमाण पत्र और इनाम से उसकी अलमारी भर गई थी।स्कूल के बाद उसने कॉलेज में इंटर आर्ट्स में एडमिशन ले लिया । कॉलेज में भी उसका खेलना कूदना जारी रहा। वहा भी उसने अपना जलवा बरकरार रखा।कॉलेज में सब लोग उसे स्पोर्ट्स बॉय के नाम से बुलाते थे।सब लोग बोलते थे प्रताप एक दिन जरूर भारतीय सेना में भर्ती होगा।फौजी होने के सारे गुण इसमें है।भले ही वो हट्टा कट्टा और लम्बा चौड़ा था लेकिन बोल चाल और व्यवहार बहुत ही सरल और सहज था।इसलिए उसके चाहने वाले और दोस्त भी बहुत थे।
उन्ही में से रागिनी भी थी जो उसे बहुत चाहती थी लेकिन दोस्ती से आगे वो उसे प्यार करती थी ।लेकिन प्रताप उसपर ध्यान नहीं देता था ।
एक दिन कॉलेज का क्लास खाली था तो प्रताप लायब्रेरी में चला गया और एक किताब लेकर पढ़ने बैठ गया।तभी रागिनी भी उसका पीछा करते हुए आ गई और उसके सामने की कुर्सी पर बैठ गई और बोली क्या बात है प्रताप तुम मुझसे बड़े दूर दूर रहते हो ।मेरे शरीर में कांटे लगे है क्या । बाकी लड़के लड़कियां के साथ तो बड़ा हिल मिल कर बात करते हो।
ऐसी बात नही है रागिनी है मेरा ध्यान पढ़ाई और लक्ष्य एक फौजी बनना है।लेकिन तुम चाहती हो मै तुमसे प्यार करूं।

ये दिल तुमको कैसे दे दूं जो वतन के नाम हो गया।
मैं मैं न रहा मैं खुद हिंदुस्तान हो गया।

 मेरे दिल में केवल हिंदुस्तान बसता है।बोलो तुमको कैसे उसमे जगह दे दूं।प्रताप ने जवाब दिया।
मैं तुम्हे कहा रोक रही हूं।तुम सब करो और साथ में मुझे भी प्यार करो।रागिनी ने उसका हाथ पकड़ कर कहा।
ये नही हो सकता रागिनी तुम मुझसे प्यार करके बहुत पछताओगी।क्योंकि फौजी बनने के बाद कब मुझे दुश्मन की गोली मौत की नींद सुलाकर शहीद बना देगी तुमको कोई अंदाजा नहीं है।
प्रताप ने कहा ।
मैने तुम्हे अपना दिल दे चुकी हूं तुम्हारी हो चुकी हूं।मैं तुम्हारा मरते दम तक इंतजार करूंगी।

तुम्हारे दिलमें अगर हिंदुस्तान बसता है तो मेरे दिल में तुम रहते हो।
तुम चाहे जो भी हो मेरे लिए तो तुम ही यार मेरा हिंदुस्तान लगते हो।

इतना कहकर रागिनी रोने लगी।तुम मुझे कमजोर कर रही हो रागिनी मुझे जाने दो ।लेकिन रागिनी ने उसका हाथ नहीं छोड़ा।पहले कहो की तुमको भी मुझसे प्यार है।
प्रताप उसका हाथ छुड़ाकर चला गया ।रागिनी अपनी भींगी आंखो से उसे जाते देखती रही ।इंटर की परीक्षा पास करते ही प्रताप फौज में भर्ती हो गया। फौज में जाते समय प्रताप को स्टेशन तक छोड़ने रागिनी ही गई।उसने रोते हुए उसे बिदा करते हुआ कहा _ जल्दी घर आना मैं तुम्हारा तुम्हारे ही घर में इंतजार करूंगी।
प्रताप से रहा नही गया उसने अपनी भींगी पलको से रागिनी को अपनी बाहों मे भर लिया और कहा मैं बहुत जल्दी घर आऊंगा मेरा इंतजार करना तुम।घर आते ही तुम्हारी मांग भरूंगा।
घर पर उसके बूढ़े मां और पिता रहते थे। रागिनी ने प्रताप के जाने के बाद उनकी खूब सेवा सत्कार करती थी।
तुम हमारी क्यों सेवा कर रही हो बेटी तुम तो अभी प्रताप की दुल्हन भी नही बनी हो। तुम्हारे माता पिता जहां चाहे तुम वहा अपना विवाह कर लो।क्यों उसके पीछे अपनी जिंदगी तबाह करना चाहती है।प्रताप के पिता ने कहा।अंकल प्रताप देश की सेवा कर रहा है और मैं भी आप सबकी सेवा करके देश की सेवा कर रही हूं प्रताप को मैंने कबका अपना पति मान चुकी हूं।।रागिनी ने जवाब दिया।
सीमा पर सीज फायर तोड़कर पाकिस्तान की तरफ से तीन दिनों तक लगातार फायरिंग होती रही।प्रताप भी उसी पोस्ट पर तैनात था ।सेना के कई जवान शहीद हो गए।प्रताप ने अपनी जान की बाजी लगाकर बम गोलों से दुश्मन सेना के कई पोस्ट को तबाह कर दिया ।उसके सैकड़ों जवानों को मार गिराया और अपने शहीद जवानों का बदला लिया।लेकिन अंततः दुश्मन की एक गोली ने उसे भी शहिद कर दिया।उसका प्रार्थिव शरीर जब तिरंगे में लिपट कर सेना की गाड़ी से उसके घर पहुंची उसके मां बाप का कलेजा फट गया ।गांव वालो की आंखे आंसुओ से भर गई।हुजूम उमड़ पडा उसकी अंतिम बिदाई में।रागिनी की तो खुद का होश ही नहीं रहा ।बस उसकी आंखो से आंसुओ का सैलाब बहता रहा।उसने प्रताप के माथे को चूम लिया और उसे सलामी देकर उसकी अंतिम बिदाई दी। शहीदो के परिवार वालों को जो सरकार की सहायता राशि मिली उसेh रागिनी ने उसके माता पिता के नाम कर दिया ।कुछ जमीन भी मिली उसे उनके ही नाम करवा दिया।खुद एक स्कूल में शिक्षक की नौकरी कर ली।
 अपनी जिंदगी को उसने प्रताप के नाम कर दिया था।उसके माता पिता की सेवा में ही उसने अपना जीवन लगा दिया। उसने प्रताप के माता पिता के मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार करवाया ।कुंवारी बहु बनकर उसनेह अपना सारा फर्ज निभाया। गांव वाले उसकी एक फौजी के लिए इतना प्यार देख कर भाव विभोर हो गए थे इसलिए उसका सम्मान भी करते थे।
अंतिम समय में उसने प्रताप की फोटो को अपने सीने से लगाकर इस दुनिया से बिदाई ली और प्रताप को सलामी देती गई।उसके मरने के बाद गांव वालो ने प्रताप की संपत्ति से रागिनी स्मारक विद्यालय खोल दिया जहा प्रताप और रागिनी दोनो की एक साथ मूर्ति स्थापित कर दिया।

लेखक श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मोब _९९५५५०९२८६



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1 Comments

Mohammed urooj khan

11-Nov-2023 11:27 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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